Dhamtari: लोगों ने पूछा हेलीकाप्टर में कैसे लागिस, अब आसमानी सैर का मजा बता रही कमार बेटी दीपिका

प्रोत्साहित करने के लिए छ्त्तीसगढ़ सरकार ने पिछले दिनों ऐसे बच्चों को उड़नखटोला की सैर कराई तो दीपिका भी पहुंची थी।

Dhamtari News: गरीबी में पली-बढ़ी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की दीपिका कुमार ने अपने साहस के बल पर सीधे हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी और आसमान की यात्रा का लुत्फ उठाया। घर लौटने के बाद लोग अब उनसे उदनखटोले के बारे में पूछ रहे हैं। मैंने अब तक ट्रेन पर ध्यान ही नहीं दिया था। यह नागरी विकासखंड के ग्राम पंचायत भोटाली के आश्रित गांव गीतकरमुड़ा से दीपिका का दस्ता है। विशेष पिछड़ी जनजाति कमर परिवार में जन्मी यह बेटी हाल ही में 10वीं बोर्ड में 78.33 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सुर्खियां बटोर चुकी है। उन्होंने प्रदेश के किसी भी कमार लड़के या लड़की से बेहतर प्रदर्शन दिया है। पहली बार मैंने हेलिकॉप्टर को न केवल देखा बल्कि उसे छूकर वास्तव में महसूस किया। बैठते ही उसका मन आनंद से भर गया और वह निरन्तर आनंदित होती रही। छुट्टी मनाकर उदनखटोले से लौटने के बाद से। आने के बाद पड़ोसी, सहपाठी व अन्य पूरी जानकारी जुटा रहे हैं। दीपिका ने कहा कि उनमें से अधिकतर जानना चाहते हैं कि हेलीकॉप्टर पर कैसे चढ़ना है। लोग उसे सुनना पसंद करते हैं जो उसकी अद्भुत यात्रा की बारीकियों को बताता है।

कलेक्टर बनना चाहती है दीपिका

दीपिका नेताम ने डिबेट के दौरान बताया कि वह 10वीं बोर्ड परीक्षा में 78.33 प्रतिशत अंक लाकर विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग में पूरे प्रदेश में नंबर वन रहीं। उन्हें इस उपलब्धि के लिए राज्य सरकार से प्रोत्साहन और प्रशंसा के रूप में 1.5 लाख रुपये मिले। दीपिका ने बहस के दौरान कहा कि वह अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने और यूपीएससी की तैयारी करने के बाद आईएएस बनना चाहती हैं। इस राशि का उपयोग उसकी पढ़ाई पर किया जाएगा। गांव में प्राथमिक विद्यालय है। फ़ारसी के छात्रावास में रहकर उसने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया।

माता-पिता मजदूर

दीपिका नेताम का दावा है कि उनके इलाके में 40 कमार परिवार हैं। उनकी माता का नाम चैतीबाई और पिता का नाम सोनूराम कुमार है। उसके दो भाई हैं। उसके माता-पिता उसे दैनिक भुगतान करके पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं। गांव के कवेलू निवासी एक घर में गरीबी में रहते हैं। वह वास्तव में शिक्षा में रुचि रखती है, इसलिए वह छात्रावास में रहकर पढ़ाई में अधिक समय व्यतीत करती है। खेल में भी उसकी रुचि है, लेकिन वह अपनी शिक्षा को प्राथमिकता देता है। गौरतलब है कि विशेष पिछड़ा आदिवासी कमार वर्ग के 10 लोग ही पढ़ पाते हैं। सरकार के नियमों के अनुसार बेहतर पढ़ाई के बाद सीधी नौकरी देने का भी प्रावधान है, इस वजह से कमार जाति के लोग अब शिक्षा को अधिक महत्व दे रहे हैं।